इस बार भारत में मानसून के जल्दी आगमन की खुशखबरी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार दक्षिण-पश्चिम मानसून 2025 में अपने तय समय से चार दिन पहले, यानी 27 मई को केरल तट पर दस्तक देगा। आमतौर पर मानसून 1 जून को केरल पहुंचता है, लेकिन इस बार 16 साल बाद यह जल्दी आने वाला है। इससे किसानों और कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ मिल सकता है।
मौसम विभाग का कहना है कि मानसून के जल्दी आने के पीछे समुद्री हवाओं की अनुकूल स्थिति, बंगाल की खाड़ी और अंडमान सागर के क्षेत्र में सक्रिय सिस्टम, और उच्च तापमान जैसी स्थितियाँ जिम्मेदार हैं। मानसून के जल्दी प्रवेश से उत्तर भारत में गर्मी से राहत मिलने की संभावना बढ़ गई है। IMD के अनुसार, मानसून के इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश लाने की उम्मीद है।
पिछले दस वर्षों के आंकड़े देखें तो 2024 में मानसून 31 मई, 2023 में 4 जून, जबकि 2022 में 29 मई को आया था। लेकिन 2025 में यह 27 मई को ही आ जाएगा, जो 2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन है। वर्ष 2009 में भी मानसून 23 मई को ही पहुंच गया था।
हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तर भारत के अन्य इलाकों में 13 से 15 जून के बीच अच्छी बारिश के संकेत मिल रहे हैं। कुछ क्षेत्रों में आंधी-तूफान और ओलावृष्टि भी हो सकती है। हाल ही में हिसार और अन्य जिलों में हुई ओलावृष्टि ने इस अनुमान की पुष्टि की है। वहीं, कई इलाकों में तेज हवाओं के साथ बिजली गिरने की घटनाएं भी सामने आई हैं। सोनीपत और जींद में बिजली गिरने से दो लोगों की मृत्यु की दुखद खबर भी आई है।
पूर्वानुमानों के अनुसार, इस बार मानसून के दौरान कुल वर्षा सामान्य से 104% रहने का अनुमान है। यह खेती और जल भंडारण के लिहाज से राहत भरी खबर है। पूर्व-मॉनसून की बारिश भी अपेक्षाकृत अच्छी रही है, जिससे खेतों में नमी बनी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के पहले और व्यापक आगमन से खरीफ फसलों की बुवाई समय पर हो सकेगी। साथ ही, जल संकट झेल रहे राज्यों के लिए भी यह राहत का संकेत है। IMD ने बताया कि मानसून के पूरे देश में सामान्य समय से 3–5 दिन पहले पहुंचने की संभावना है।
आम जनता को सलाह दी गई है कि वे मौसम विभाग की अपडेट्स पर नजर बनाए रखें और बिजली गिरने जैसी घटनाओं से बचाव के लिए आवश्यक सावधानियां अपनाएं।