हरियाणा सरकार ने राज्यभर में चलाए गए एक महीने लंबे विशेष अभियान के तहत 2.75 लाख बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) राशन कार्ड रद्द कर दिए हैं। यह कदम राज्य की कल्याणकारी योजनाओं में पारदर्शिता लाने और अपात्र लाभार्थियों की पहचान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, उपभोक्ता मामले विभाग और आधार डेटा के माध्यम से की गई इस जांच प्रक्रिया में यह पाया गया कि कई परिवार ऐसे थे जो लंबे समय से राशन नहीं ले रहे थे या फर्जी दावा कर लाभ उठा रहे थे।
अप्रैल 2024 में राज्य में कुल बीपीएल कार्डधारकों की संख्या 51.97 लाख थी, जो अब घटकर 49.22 लाख रह गई है। यानी कुल मिलाकर करीब 5 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। अधिकारियों के अनुसार, जिन कार्डों पर एक वर्ष से अधिक समय से राशन नहीं लिया गया या जिनमें गलत जानकारी के आधार पर कार्ड बनवाए गए थे, उन्हें बीपीएल सूची से हटा दिया गया है। इन निष्क्रिय कार्डों को अब सामान्य राशन कार्ड में बदल दिया गया है, जिससे संबंधित परिवार बीपीएल योजनाओं का लाभ नहीं ले सकेंगे।
इस मुहिम के तहत सबसे अधिक कार्ड रद्द करने का असर फरीदाबाद जिले में देखा गया, जहाँ 18,200 कार्ड निरस्त किए गए। इसके बाद हिसार में 16,776, सिरसा में 15,369 और करनाल में 15,026 बीपीएल कार्ड रद्द किए गए। वहीं पंचकूला ऐसा जिला रहा जहाँ सबसे कम 87,150 कार्ड सक्रिय पाए गए। यह जिलावार डेटा दर्शाता है कि जहां पहले बीपीएल कार्ड की संख्या असामान्य रूप से अधिक थी, वहीं इस बार सबसे अधिक कटौती भी वहीं हुई।
राज्य सरकार के अधिकारियों ने बताया कि जिन लोगों ने स्वेच्छा से बीपीएल सूची से बाहर होने की इच्छा जताई, उनके कार्ड बिना किसी परेशानी के हटाए गए। सरकार ने पहले ही नागरिकों से अपील की थी कि अगर वे अब बीपीएल मानदंडों के तहत नहीं आते हैं, तो वे स्वयं अपना नाम सूची से हटवा लें। इससे वंचित वर्गों को वास्तविक लाभ सुनिश्चित किया जा सकेगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अब बीपीएल सूची में केवल वही परिवार रहेंगे जो सच में इस योजना के पात्र हैं। फर्जी तरीके से बनाए गए कार्ड या जिनमें आधारभूत दस्तावेजों की कमी है, उन्हें भी निरस्त किया जाएगा। जांच प्रक्रिया जारी है और आने वाले समय में और भी ऐसे कार्ड हटाए जा सकते हैं।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य है कि गरीब और जरूरतमंद परिवारों तक योजनाओं का लाभ सही रूप में पहुंचे। उन्होंने सभी जिलों के नागरिक संसाधन सूचना विभाग (CIDR) कार्यालयों में जाकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ कार्ड की समीक्षा करवाने की अपील की है। इसके लिए जिला स्तर पर जांच समितियाँ गठित कर दी गई हैं, जो प्रत्येक मामले की समीक्षा करेंगी।
यह कदम जहां एक ओर सरकारी योजनाओं को प्रभावी बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास है, वहीं दूसरी ओर यह उन लोगों के लिए चेतावनी है जो गलत तरीके से सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे थे। राज्य सरकार की यह कार्यवाही पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।
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